हिंदी साहित्य साधक, कवियत्री...
वास्तुविद, अध्यापिका.....
साहित्यिक परिचय
जादू का हूँ चिराग जल जा रहा हूँ मैं
देकर के रोशनी लो मिटा जा रहा हूँ मैं
खुश हो रहा हूँ मैं यही एक बात सोच के
गैरों को भी दिल से बड़े अपना रहा हूँ मैं।
वो ताजमहल हूँ मैं जो पत्थर का नहीं है
जिसमे है बहता रक्त लाल श्वेत नहीं है
चाहो तो कहीं से भी हमे तोड़ के देखो
दिल ही मिलेगा साथ में पाषाण नहीं है।
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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December 21, 2023 | 62 | 0 | 0.0% |
November 01, 2022 | 62 | -3 | -4.7% |
August 26, 2022 | 65 | -1 | -1.6% |
July 20, 2022 | 66 | +2 | +3.2% |
June 13, 2022 | 64 | +3 | +5.0% |
May 07, 2022 | 61 | +1 | +1.7% |
March 30, 2022 | 60 | +9 | +17.7% |
January 31, 2022 | 51 | +2 | +4.1% |
December 24, 2021 | 49 | +8 | +19.6% |