प्रारभ्य ते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
प्रारभ्य विघ्नविहता: विरमन्ति मध्याः ।
विघ्नै: पुन:पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
प्रारब्धमुत्तमजना: न परित्यजन्ति ॥
Invited by: Snigdha Nandipati
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