नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः ।
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥
जन्म से शुद्र, कर्म से ब्राह्मण, परिवार के लिये वैश्य, राष्ट्र के लिये क्षत्रिय 🚩
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।
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