षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता |
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता ||
महाभारत उद्योग परवे (३३/७८)
भावार्थ - ऐश्वर्य और उन्नति की कामना करने वाले व्यक्तियों
को नींद , तन्द्रा (ऊंघना), भय , क्रोध, आलस्य , तथा दीर्घसूत्रता
(शीघ्र हो जाने वाले कार्यों में भी अधिक देरी लगाने की आदत) -
इन छः दुर्गुणों को त्याग देना चाहिये |