دست از طلب ندارم تا کام من برآید
یا تن رسد به جانان یا جان ز تن برآید
بگشای تربتم را بعد از وفات و بنگر
کز آتش درونم دود از کفن برآید
بنمای رخ که خلقی واله شوند و حیران
بگشای لب که فریاد از مرد و زن برآید
جان بر لب است و حسرت در دل که از لبانش
نگرفته هیچ کامی جان از بدن برآید
از حسرت دهانش آمد به تنگ جانم
خود کام تنگدستان کی زان دهن برآید
گویند ذکر خیرش در خیل عشقبازان
هر جا که نام حافظ در انجمن برآید
Invited by: Shahram Na
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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June 19, 2024 | 129 | +5 | +4.1% |
July 14, 2023 | 124 | +2 | +1.7% |
November 03, 2022 | 122 | +3 | +2.6% |
August 27, 2022 | 119 | +1 | +0.9% |
July 21, 2022 | 118 | +2 | +1.8% |
June 14, 2022 | 116 | -1 | -0.9% |
May 08, 2022 | 117 | +1 | +0.9% |
March 31, 2022 | 116 | +2 | +1.8% |
February 01, 2022 | 114 | +1 | +0.9% |
December 25, 2021 | 113 | +3 | +2.8% |