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वफ़ा कर के दग़ा देना हमे नही आता
हम तो अहले-ए-ज़र्फ है हमे क्या नही आता
मोहब्बत तो एक हसीन संगम है
हमे जो रुला दे वो प्यार नही आता
हम तो साक़ी-ए-कौसर के दीवाने है
ज़ुल्म जैसे भी हो हमे मुकरना नही आता
इमाम ए ज़माने के तरफदार हम ही है "आबिद"
अल्फ़ाज़ बदल कर इल्ज़ाम लगाना हमे नही आता
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Palanpur (Gujarat)
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