आस Poet on Clubhouse

Updated: Jul 9, 2023
आस Poet Clubhouse
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Jul 8, 2021 Registered
@aas_poet Username

Bio

Profession #interior designer #wallcovering
वो शोहरत बना कर खास होते गए तुमने मंजिल ठुकराई और आम होते गए

( तू बस फुरसत लेकर आ ऐ हसीं आस तुझे इतनी शिद्द्त से लिखेगा तू खुद भी हैरां हो जाएगा तू इतना हसीन कब हुआ )

फ़कीर हूँ मैं पहेलियों में ज़िंदगी लिखी है समझोगे तो समझ जाओगे भटके तो मुझमें खो जाओगे

गीत लिखता हूँ अगर तुम सुर सजाओ तो महफ़िल तुम्हारी होगी मेरा नाम नहीं

Observation writer, poet, lyricist

खुद को समेटा नहीं इस लिए बिखरा सा मैं और बिखरे से अल्फाज मेरे

महफ़िल तो है मगर माहौल नहीं है

वो लफ्ज तो है मगर जुबान नहीं है

वो मोहब्बत तो है मगर मेहरबान नहीं है

वो याद तो है मगर पैगाम नहीं है
वो भुला तो है मगर याद नहीं है

वो यहाँ तो है मगर यहाँ नहीं है
वो आया तो है मगर आया तो नही है


वो कुछ पंखुडियां तोड़ कर दिखा रहे हैं
लगता है खुद अपनी खुशबू से आंगन महका रहे है और इल्जाम फूलो पर लगा रहे हैं


वो जाने किस अंदाज़ मे बैठे थे और हमने उन्हें क्या कह दिया के वो बड़ी अदबी से नाराज हुए बैठे है कोई जा कर कह दो उनसे के हम उनके इख्तियार हुए बैठे वो आते है हमें बताने कुछ या......
नहीं तो हम होंठो के करीब जहर लिए बैठ हैं

Invited by: Sandeep Kumar

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