sarthak oberoi on Clubhouse

Updated: Jul 16, 2023
sarthak oberoi Clubhouse
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Bio

औरत एक हाथ मे बेलन दूसरे मे कलम उठा सकती हैँ
समाज मौका तो दे वो मर्दो से भी आगे जा सकती हैँ
LAW STUDENT
KARMADHARMA
VOLUNTEER AT
THE INDIAN STAMMERING ASSOCIATION

शायर तो जॉन एलिया हैँ
📖🖋️🖋️
कितना मुश्किल हैँ ना दिवाली पर
एक शहर मे रह कर हम साथ नहीं हैँ
हाँ मगर एहसास हैँ तुम्हारा
दिए की रौशनी मे
मिठाई की चाशनी मे
बम पटाको की आवाज़ मे
एक सुन्दर से लबाज़ मे
बस एहसास हैँ तुम्हारा
हम पास नहीं हैँ
वो बात नहीं हैँ
कितना मुश्किल हैँ ना दिवाली पर
एक शहर मे रह कर हम साथ नहीं हैँ


°I Write poetries ©❤️❤️❤
°All my own write ups
°Advocate❤❤
°24
°हँसा सकता हूँ
°पंजाबी ❤️
°Hodophile
°हिंदी Poetry
°उर्दू Poetry
°Still Learning from Life
°Carpediem
°Cooking is my Passion
°Aquarius
°A small part of this Universe
°Giving All i कैन
°कर्मा धर्म
°सोलो ट्रावेलर


📍New Delhi
Interests on Club house
-Hindi poetry
-Poems
-Music -LOFI❤
-Politics
-LAW
👇👇

तुम आना कभी मिलने
चाय तुम बनाना
कहानी मैं सुना दूंगा ❤

अब टूटा हूँ अंदर से
कुछ बातें परेशान करती हैँ
वो यादें आँखों के सामने
आज भी झलकती हैँ

मैं बर्बाद जिंदगी सा
तुम मुकम्मल किताब सी
मैं छोटे शहर का व्यक्ति
तुम बड़े शहर के ख्वाब सी
मैं खराब सा फूल
तुम सुंदर गुलदस्ते के गुलाब सी
मैं बर्बाद जिंदगी सा
तुम मुकम्मल किताब सी

ईद पर मिलो तुम,
मेरा चाँद जो हो
इनायत हो तुम,
मेरा ईमान जो हो
सेहरी और इफ्तार हो मेरी,
मेरी रमजान जो हो
ईद पर मिलो तुम
मेरा चाँद जो हो
फकत मोहब्बत जिससे क़ुबूल
तुम मेरी नमाज़ जो हो
प्यार हमारा कयामत तक रहे
चाहे अंजाम जो हो
ईद पर मिलो तुम
मेरा चाँद जो हो


°ये इतना दुख क्यों छुपाये बैठी हो
उठो बाल सवारो क्या हाल बनाये बैठी हो

°मैं अपने ग़ुस्से से बहुत कुछ गवा देता हूँ
जब तक संभालता हूँ सोचता हूँ
मैं देर लगा देता हूँ

°-सार्थक ओबेरॉय
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