I want to learn how to read books?
वैसे मैं कविताएं लिख तो लेता हूं मगर किसी तक पहुंचा नही पाता हूं , उन सैकड़ों सन्नाटों को जो मैने सुने है अकेले बैठ कर , कलम को ना चला पाने के कारण ।
यहां आने की कहानी इतनी सी है कि ,मैं ट्रेन में चढ़ा तो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से था मगर उतरा सीधे क्लब हाउस के बकैती स्टेशन पर कुछ अजीज दोस्तों के साथ और ये दोस्त उसी ट्रेन में मिले थे कुछ गजब अंदाज में "परत" पढ़ते हुए ।
यार जिंदगी के ना जितने ले सकते हो उतने मजे लो क्योंकि फोटो ,कब पासपोर्ट साइज से 7×9 हो जाए कुछ पता नहीं है ।