अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:🙏.
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मासों में आज, फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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November 02, 2023 | 63 | +8 | +14.6% |
August 24, 2022 | 55 | +8 | +17.1% |
July 18, 2022 | 47 | +4 | +9.4% |
June 11, 2022 | 43 | +2 | +4.9% |
May 05, 2022 | 41 | +4 | +10.9% |
March 27, 2022 | 37 | +1 | +2.8% |
December 22, 2021 | 36 | -1 | -2.8% |