ਦੇਹਿ ਸਿਵਾ ਬਰੁ ਮੋਹਿ ਇਹੈ ਸੁਭ ਕਰਮਨ ਤੇ ਕਬਹੂ ਨ ਟਰੋਂ ॥ਨ ਡਰੋਂ ਅਰਿ ਸੋ ਜਬ ਜਾਇ ਲਰੋਂ ਨਿਸਚੈ ਕਰਿ ਅਪੁਨੀ ਜੀਤ ਕਰੋਂ ॥ਅਰੁ ਸਿਖ ਹੋਂ ਆਪਨੇ ਹੀ ਮਨ ਕੌ ਇਹ ਲਾਲਚ ਹਉ ਗੁਨ ਤਉ ਉਚਰੋਂ ॥ਜਬ ਆਵ ਕੀ ਅਉਧ ਨਿਦਾਨ ਬਨੈ ਅਤਿ ਹੀ ਰਨ ਮੈ ਤਬ ਜੂਝ ਮਰੋਂ ॥੨੩੧॥
देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूंन डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं,अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों,जब आव की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझ मरों
DEH SIVA BAR MOHE HAI
SHUBH KARMAN TE KABHU NA DARO
NA DARO ARSO JAB CHAALE LADO
NISHCHAY KAR APNI JEET KARO
BOLE SAU NIHAAL
SAT SRI AKAAL
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