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शौक़िया शायर || चाय और ग़ज़ल
तुझमें महदूद हो जाऊं, तेरा महबूब हो जाऊं,
तुलु होकर मैं तुझसे, तुझमें ही ग़ुरूब हो जाऊं।
मुझको इस तरह चाहो, के चाहत न रहे कोई और,
तेरे दिल के मसनद पे, मैं अब मंसूब हो जाऊं।
-hashim khan Sifar
Invited by: Nabeel Usmani
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July 02, 2022 | 52 | -3 | -5.5% |
May 26, 2022 | 55 | +2 | +3.8% |
April 18, 2022 | 53 | +2 | +4.0% |
March 10, 2022 | 51 | +4 | +8.6% |
January 12, 2022 | 47 | -1 | -2.1% |
December 05, 2021 | 48 | -2 | -4.0% |
October 27, 2021 | 50 | +14 | +38.9% |