श्री सीताराम
रामात् नास्ति परोदेवो
No God is superior than Lord Rama;
(Padma Purāna 5.35.51)
सर्वदेवमयो रामः स्मृतश्चार्त्तिप्रणाशनः॥
"All the deities reside in Śrī Rāma or Śrī Rāma is the original root of everyone. Śrī Rāma destroys all type of agonies of his devotees.
सुनु सेवक सुरतरु सुरधेनू। बिधि हरि हर बंदित पद रेनू॥
सेवत सुलभ सकल सुखदायक। प्रनतपाल सचराचर नायक॥
(श्रीरामचरितमानस 1.146.1)
भावार्थ:- (मनु और शतरूपा जी प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करते हैं-) हे प्रभो! सुनिए, आप सेवकों के लिए कल्पवृक्ष और कामधेनु हैं। आपके चरण रज की ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी भी वंदना करते हैं। आप सेवा करने में सुलभ हैं तथा सब सुखों के देने वाले हैं। आप शरणागत के रक्षक और जड़-चेतन के स्वामी हैं॥
न संहिता सा नहि यत्र रामो, न सोSस्ति वेदो नाहि यत्र रामः।
स नेतिहासो नहि यत्र रामः न तत् पुराणं नहि यत्र रामः॥
Itihas is not considered as itihas, vedas are not vedas , samhita is not samhita, puran is not puran, if they don't have "shri Ram as param tatva".