हे कलम तुम्हे चलना होगा ।
हे कलम तुम्हे चलना होगा ।।
जब अपने ही घर के भेदी से ,
सीमा पर कोई आहट हो
जब राजनीति के न्यायधीश को
निर्णय में सकुचाहट हो
जब सैनिक माँ के अंतर्मन में
रोष पूर्ण अकुलाहट हो
तब कर्मयुद्ध के प्रांगण में
हर प्राण-मात्र में जीवट हो
सुन्दर शैय्या को छोड़ प्रिये
अंगारों में जलना होगा
हे कलम तुम्हे चलना होगा।
हे कलम तुम्हे चलना होगा ।।