मैं अपने ग़म सुलाकर खोलती हूं, ये ज़ुबां अपनी
उठे तूफान जब अंदर,तो फिर कुछ भी नहीं कहती
हैं ताबेदार मेरे अश्क इतने, बिन इजाज़त के
नहीं बहते किनारों से, जो मैं बहने नही देती
मेरी मुस्कान पर लोगो ने, कितने भ्रम रखे होंगे
वो दीवारें नहीं चढ़तें , मैं दरवाज़े नहीं रखती…
- रोशनारा
⭐️A life observer
⭐️A composer and lyricist by profession
⭐️A poet by heart
⭐️A writer by thoughts and
⭐️vocalist
Based in Mumbai, india🇮🇳
Invited by: Rohit Lamba
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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November 07, 2023 | 82 | -1 | -1.3% |
October 01, 2022 | 83 | -1 | -1.2% |
July 04, 2022 | 84 | -1 | -1.2% |
May 28, 2022 | 85 | -3 | -3.5% |
April 20, 2022 | 88 | +1 | +1.2% |
March 12, 2022 | 87 | +6 | +7.5% |
October 30, 2021 | 81 | -1 | -1.3% |
September 23, 2021 | 82 | +36 | +78.3% |