Sanyam Rastogi on Clubhouse

Updated: Mar 21, 2024
Sanyam Rastogi Clubhouse
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रुख़्सत नहीं हुई है नींद मेरी अभी,
कुछ ख़्वाब देखने अभी बाक़ी है ।

हँसी की चादर ओढ़ के सो जाने दो,
ग़मों की रात थोड़ी और बाक़ी है ।

उजला सवेरा जब आए तो उठा देना,
ख़्वाबों की लड़ाई लड़नी अभी बाक़ी है।

लड़खाए ग़र थोड़ा तो सम्भालना मत,
खुद संभलजाने की ज़िद अभी बाक़ी है।

बहेगा फिर खून और पसीना मेरा यहाँ,
हार ना मान्ने वाली कमी अभी बाक़ी है।

जीत जाऊँ या हार जाऊँ फ़र्क़ नहीं पड़ता,
लड़ते रहने का खुमार अभी बाक़ी है।

थक के फिर सो जाऊँगा आख़िर में,
क्यूँकि इन ख़्वाबों, ज़िद, खुमारी और ख़ुदारी के बीच ज़िंदगी अभी बाक़ी है।



~ ज़िंदगी अभी बाक़ी है।

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