ब्रह्माण्ड के अथाह आयाम में बिन्दु बराबर अस्तित्व भी नहीं हैं हमारा हम सबको पता है एक दिन वापस उसी ब्रह्माण्ड में विलीन हो जाना है फिर भी जाने हमारी "मैं" इतनी बड़ी क्यों है...
ਜਾਚ ਮੈਨੂੰ ਆ ਗਯੀ ਗ਼ਮ ਖਾਣ ਦੀ
ਹੌਲੇ ਹੌਲੇ ਰੋ ਕੇ ਦਿਲ ਪਰਚਾਉਣ ਦੀ
-ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ
दुनियाँ में बहुत है मुश्किल कायम करना ऐतबार
किसी से दिल से जुड़ना दिलों में जगह बनाना
बहुत आसान है दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना
और अपनी गलतियों का ज़िम्मेदार दूसरों को ठहराना
रहना होशियार न गलती करना रचना
बेलज़्ज़त बेमुरव्वत होता है अक्सर ज़माना
-रचना अग्रवाल
Invited by: Ashok Kumar Pandey
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