बोल्ने तिम्रो आँखा ,
मुस्कुराउने तिम्रा आँखा ,
लजाउने तिम्रा अाँखा,
लठ्याउने तिम्रा अाँखा,
गलाउने तिम्रा अाँखा,
अनि निरीह म,
अबुझ,
असमझ्दार,
नत्र तिम्रो अाँखाको,
भाब सजिलैसँग,
पहिल्याउन सक्ने थिएँ,
बोलाउँदा बोल्ने थिएँ,
मुस्कुराँउदा साथ दिन्थेँ,
लजाँउदा जिस्काईदिन्थे,
तिमिसँग लठ्ठीन्थे
तिमिसँगै गल्थे,
अहँ कहिले पढ्न,
सकिन मैले ,
तिम्रा अाँखा.......
✍️प्रशन्न काफ्ले
Invited by: Anup Pariyar
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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September 26, 2023 | 48 | -1 | -2.1% |
August 03, 2022 | 49 | +1 | +2.1% |
June 27, 2022 | 48 | -1 | -2.1% |
April 12, 2022 | 49 | +3 | +6.6% |
January 07, 2022 | 46 | +3 | +7.0% |
October 22, 2021 | 43 | -1 | -2.3% |
September 15, 2021 | 44 | +19 | +76.0% |