🇮🇳
जो नहीं हो सके पूर्ण-काम,
मैं उनको करता हूँ प्रणाम ।
✍️ वैद्यनाथ मिश्र (बाबा नागार्जुन)
इसीलिए खड़ा रहा
कि तुम मुझे पुकार लो!
✍️ हरिवंशराय बच्चन
यह कदंब का पेड़ अगर माँ
होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया
बनता धीरे-धीरे॥
✍️ सुभद्रा कुमारी चौहान
तू मन अनमना न कर अपना, इसमें कुछ दोष नहीं तेरा
धरती के काग़ज़ पर मेरी, तस्वीर अधूरी रहनी थी
✍️ भारत भूषण
आँसुओं तुम भी पराई
आँख में रहने लगे हो,
अब तुम्हें मेरे नयन
इतने बुरे लगने लगे हैं।
✍️ रामावतार त्यागी
मैं तूफ़ानों में चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंज़िल आसान करो!
✍️ गोपालदास नीरज
बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
पूछेगा सारा गाँव, बंधु!
✍️ सूर्यकान्त त्रिपाठी "निराला"
आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा
चंद ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली।
✍️ दुष्यन्त कुमार
केवल दो गीत लिखे मैंने
इक गीत तुम्हारे मिलने का
इक गीत तुम्हारे खोने का
✍️ राजेन्द्र राजन
जितने लोग पढ़ेंगे
पढ़कर
जितनी बार नयन रोयेंगे
समझो उतनी बार
गीत को
लिखने वाला रोया होगा।
✍️ ज्ञान प्रकाश "आकुल"
कर दिये लो आज गंगा में प्रवाहित
सब तुम्हारे पत्र, सारे चित्र
तुम निश्चिंत रहना।
✍️ किशन सरोज
इस दुनिया में प्यार रहे तो
भावों का सत्कार रहे तो
कितना प्यारा होगा ये संसार समझना मुश्किल क्यों है
प्यार समूचे जीवन का है सार; समझना मुश्किल क्यों है
✍️ चिराग़ जैन
पीर के गीत तो अकनहे रह गए
पर कथन की व्यथा हिचकियाँ कह गईं
आँसुओं का ज़हर वक्त ने पी लिया
पर नयन की व्यथा पुतलियाँ कह गईं
✍️ श्रवण राही
प्रिये तुम्हारी सुधि को मैंने
यूं भी अक्सर चूम लिया
तुम पर गीत लिखा फिर उसका
अक्षर अक्षर चूम लिया
✍️ देवल आशीष
जो तुम भी करते मुझसे प्यार
तुम मांझी गीतों को गाते
मैं खेता पतवार
✍️ निर्मल दर्शन
प्रिये तुम्हारी इन आँखों में मेरा जीवन
बोल रहा है।
✍️ गोपाल सिंह "नेपाली"
दोनों ओर प्रेम पलता है।
सखि, पतंग भी जलता है हा! दीपक भी जलता है!
✍️ मैथिलीशरण गुप्त
यह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है।
✍️रामधारी सिंह "दिनकर"
आह! वेदना मिली विदाई
मैंने भ्रमवश जीवन संचित,
मधुकरियों की भीख लुटाई।
✍️ जयशंकर प्रसाद
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!
✍️ महादेवी वर्मा
मेरा परिचय; बस इतना ही,
हो साथी स्वीकार
मैं गीतों में ढूँढ रहा हूं, इस जीवन का सार!🤗🙌