चाहते हो कि मदद का यहां इमकां निकले
सच में भाई मिरे तुम तो बड़े नादां निकले
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यार सब अपने यहीं आंसू बहा के जाते हैं
दैर का पत्थर कोई मेरा तो शाना हो गया
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इश्क़ वो धीमा ज़हर है जिसमे या रब आदमी
मुब्तिला हो जाए तो ये तय है कि वो ख़त्म है
Nitin
🏡 Delhi India 🇮🇳