सुनो, तुम जरूरत नही जरूरी हो ।।
किसी से लूँ उधार या दोगे तुम, कहो कभी प्यार दोगे तुम ?
डर लगता है गले लगाने में, इनसान हो मार दोगे तुम ।
और एक लहज़े में कह दूं निरंजन,
तो खुदा गुनाहगार भी हो सकता है,
इश्क करना है तो खुद से करो,
इश्क का व्यापार भी हो सकता है।।
अकेले मन फ़हमीदा हुआ सोचता अब नहीं,
तू है, तू थी, तू नही, नही अब नही,
ऐ जिन्दगी फिर तुझसे मोहब्बत, नहीं अब नहीं,
कुछ गैर थे कुछ दोस्त ऐसी ग़लत-फहमी, नही अब नहीं ।
-निरंजन
if the data has not been changed, no new rows will appear.
Day | Followers | Gain | % Gain |
---|---|---|---|
June 19, 2024 | 74 | -3 | -3.9% |
July 14, 2023 | 77 | -4 | -5.0% |
October 02, 2022 | 81 | -2 | -2.5% |
August 11, 2022 | 83 | +2 | +2.5% |
July 05, 2022 | 81 | -1 | -1.3% |
May 29, 2022 | 82 | -1 | -1.3% |
April 21, 2022 | 83 | +6 | +7.8% |
March 14, 2022 | 77 | +16 | +26.3% |
January 15, 2022 | 61 | +2 | +3.4% |
December 09, 2021 | 59 | +5 | +9.3% |