चुरा के चैन चकोर का चांद छुप गया है कहीं,
नहीं रही हसरतें बाकी तुझको पाके चांद पाने की.
तेरे रहते न जाने कितनी गुजारी रातें तन्हा,
तू ही नहीं साथ मेरे सपनों में, बात क्या करें जमाने की.
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| Day | Followers | Gain | % Gain |
|---|---|---|---|
| December 19, 2023 | 122 | +1 | +0.9% |
| October 13, 2022 | 121 | -3 | -2.5% |
| August 17, 2022 | 124 | -3 | -2.4% |
| July 11, 2022 | 127 | -2 | -1.6% |
| June 04, 2022 | 129 | -11 | -7.9% |
| April 27, 2022 | 140 | -3 | -2.1% |
| March 20, 2022 | 143 | -7 | -4.7% |
| January 21, 2022 | 150 | -5 | -3.3% |
| December 15, 2021 | 155 | -3 | -1.9% |