Poetry lover । Theater artist । Actor । Professor । Movie worm
Team @jauniyat @suratartclub
क्या रक्खा है इस दुनिया में,
इस सहर–ओ–शाम की जद्दोजहत में,
यह डिग्रियां,
यह नौकरियां,
सैलरी चेक्स,
गाडियां,
सेल्फिया,
यह सारी ब्रांड्स,
क्या रक्खा है इनमें?
क्या है इस नाम–ओ–नक्श में?
क्या है सुखन–ओ–लफ्ज़ में?
क्या रक्खा है इन्सान होने में?
कुछ भी तो नहीं है।
दीवारों पर निकल आती आल्गी,
और सूखे पत्त्तो के शेष बचे अवशेष पर खिल आती मशरूम को कहां मालूम है यह, कि उनके खिलने के मौसमों को नाम दिए गए है,
उनके अस्तित्व को नाम दिए गए है,
वे अनजान है इन सारे पचड़ों से,
इन सारे इल्मों से,
उन्हें कुछ नहीं मालूम,
उन्हें आता ही क्या है?
खिलना और सूख जाना।
वैसे इन्सानी दुनिया में भी तो यही सब होता है,
थोड़े अपडेटेड वर्जन के साथ,
मगर,
इन्सान होने का मेरा सबसे पसंदीदा काम है,
गले मिलना,
मैं चाहूंगा,
और हमेशा से चाहता हूँ,
कोई मुझे अपनी बाहों में इतने प्यार से पकड़े और मैं भूल जाऊं इल्म क्या होता है।
@nazmkaar
Invited by: Vipassana Wahib Gautam
if the data has not been changed, no new rows will appear.
Day | Followers | Gain | % Gain |
---|---|---|---|
September 07, 2023 | 746 | +33 | +4.7% |
November 15, 2022 | 713 | -5 | -0.7% |
September 06, 2022 | 718 | -4 | -0.6% |
July 27, 2022 | 722 | -5 | -0.7% |
June 20, 2022 | 727 | -37 | -4.9% |
May 14, 2022 | 764 | +5 | +0.7% |
February 07, 2022 | 759 | +1 | +0.2% |
December 31, 2021 | 758 | -8 | -1.1% |
November 23, 2021 | 766 | +4 | +0.6% |
October 15, 2021 | 762 | -12 | -1.6% |