सब जीवन बीता जाता है
धूप छांव के खेल सदॄश
सब जीवन बीता जाता है।
समय भागता है प्रतिक्षण में
नव अतीत के तुषार कण में
हमें लगा कर भविष्य रण में
आप कहां छिप जाता है
सब जीवन बीता जाता है।
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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July 25, 2023 | 10 | 0 | 0.0% |
June 19, 2022 | 10 | -1 | -9.1% |
December 30, 2021 | 11 | -2 | -15.4% |