https://youtube.com/@mohan_poetry0707 मंजिलों के शोर सा, मैं राह का मलाल हूँ कल भी लाजवाब था, मैं आज भी कमाल हूँ जो मन किया जला दिया? और मन किया बुझा दिया? मोम का दिया नहीं, मैं आरती का थाल हूँ