गुलाबी गाल तेरे जब देख पाते हैं
होके खुशगवार पत्थरों में राह पाते हैं
इक बार घूँघट ज़रा फिर से हटा दो
दंग होने का दीवानों को मज़ा दो
ताकि आलिम समझी-बूझी राह भूलें
हुशियारों की अक़ल की हिल जाएँ चूलें
पानी बन जाय मोती, तुम्हारा अक्स पड़ना
ताकि आतिश छोड़ दे जलना, जंग करना
तुम्हारे हुस्न के आगे चाँद से मुँह मोड़ लूँ
जन्नत की झिलमिलाती रौशनियां छोड़ दूँ
तुम्हारे चेहरे के आगे न बोलूं - आईना है
ये बूढ़ा आसमां तो जंग जैसे खा गया है
इस जहाँ में सांस तुमने फूँक दी है
इस बेचारे को नई एक शकल दी है
ऐ उशना साज़ में कुछ तान लाओ
पैनी आँखों के लिए कुछ ख़ाहिश जगाओ
Invited by: Kritika Parate
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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October 26, 2023 | 17 | +1 | +6.3% |
July 31, 2022 | 16 | -1 | -5.9% |
June 24, 2022 | 17 | -2 | -10.6% |
February 11, 2022 | 19 | +1 | +5.6% |
January 04, 2022 | 18 | +1 | +5.9% |
October 20, 2021 | 17 | +1 | +6.3% |
September 13, 2021 | 16 | +6 | +60.0% |