تن از خودش بیرون می آید
از حرکت مانده
تقلا مبتلایت بود
که تمنای تو شب را می آویخت
و نور
با صدای تو می آمیخت
شکست میخورد
از تکان های تن در تاریکی
نور تنها بود
زیر سینه ی چپ ات
از تنم جدا بود
به تماشایت
در مدارای من می شکفتی
و ترانه های عمود می کشیدی
ترس از ما رفته بود
آرام گرفتی
صبح کوچه را می پیمود.
***
مهرزاد مهراندیش
Invited by: Chernobil Mehrdad
if the data has not been changed, no new rows will appear.
Day | Followers | Gain | % Gain |
---|---|---|---|
September 08, 2023 | 272 | +9 | +3.5% |
November 25, 2022 | 263 | +5 | +2.0% |
September 16, 2022 | 258 | +24 | +10.3% |
August 01, 2022 | 234 | +10 | +4.5% |
June 25, 2022 | 224 | +15 | +7.2% |
May 19, 2022 | 209 | +23 | +12.4% |
April 11, 2022 | 186 | +73 | +64.7% |
January 05, 2022 | 113 | +45 | +66.2% |
November 29, 2021 | 68 | +12 | +21.5% |
October 20, 2021 | 56 | +19 | +51.4% |