गाली को प्रणाम समझना पड़ता है ,मधुशाला को धाम समझना पड़ता है,। आधुनिक कहलाने की अंधी जिद में रावण को भी राम समझना पड़ता है,। ............................................... मजा चखा के ही माना हूं मैं भी दुनिया को वो समझ रही थी ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे ,
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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August 14, 2023 | 8 | 0 | 0.0% |
October 07, 2022 | 8 | -1 | -11.2% |
July 08, 2022 | 9 | +1 | +12.5% |
June 01, 2022 | 8 | -1 | -11.2% |
December 12, 2021 | 9 | -1 | -10.0% |