ज़रा कभी मेरी नज़र से खुद को देख भी है चाँद में भी दाग पर ना तुझमे एक भी खुद पे हक़ मेरा तेरे हवाले कर दिया जिस्म का हर रुआं तेरे हवाले कर दिया......