🇬🇧🇬🇧🇬🇧
धमीरा लागेको धर्तीमाथि उभिएर
माटोको माया
एउटा व्यङ्ग र अतिशयोक्ति हुन जान्छ आफैप्रति
म कसरी व्यक्त गरुँ?
मैले जमीन नखोजेको विरोध
मैले परिभाषा लाउन नखोजेको आमाको माया
जव रमाईलो दिन र रंगीन भ्रमहरुको
जुवा फुकेको थियो
शायद म अनुपस्थित थिएँ
आफ्नै स्थितिहरुमा
आफ्नै समयहरुमा
कि मैले हारमाथि हार खाएको हुनुपर्छ
म बाजी मार्न बिर्सेछु
मान्यता दिन बिर्सेछु
म बाजीलाई अर्थ दिन बिर्सेछु
मान्यता दिन बिर्सेछु
मलाई नसोधे हुन्छ
जुनी काट्नु कुनै गाह्रो काम होइन
अप्ठ्यारो इतिहास होइन ।🙏🙏
if the data has not been changed, no new rows will appear.
Day | Followers | Gain | % Gain |
---|---|---|---|
October 13, 2023 | 156 | -14 | -8.3% |
October 21, 2022 | 170 | -14 | -7.7% |
August 21, 2022 | 184 | -15 | -7.6% |
July 15, 2022 | 199 | -14 | -6.6% |
May 02, 2022 | 213 | -6 | -2.8% |
March 24, 2022 | 219 | -27 | -11.0% |
January 26, 2022 | 246 | +131 | +114.0% |
December 19, 2021 | 115 | +8 | +7.5% |