Anupam Kaushik on Clubhouse

Updated: Aug 17, 2023
Anupam Kaushik Clubhouse
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Bio

ये बात हक है कि टहनियों पे हमारे कोई निशां नही थे।
मग़र तुम्हारी वफ़ा के मौसम भी तो बराबर जवां नही थे।।
-अनुपम

उड़ानें भरते भरते और अपने पंख फ़ैलाते
गुज़ारी आसमां को नापने में ज़िन्दगी सारी
-अनुपम

सिर्फ़ खुश्बू से ही वीराना महक सकता है
मुझसे रिश्ता न रखना, पर तू मोहब्बत रखना
-अनुपम

वो ऐसा अडिग था कि टकरा के उससे
हवाओं के भी टुकड़े टुकड़े हुए हैं
-अनुपम

बहुत ही पुराने खुलासे हुए हैं
मग़र ये न पूछो कहाँ से हुए हैं
ये पहली दफ़ा है कि लब ये हमारे
नदी की छुवन से पियासे हुए हैं
-अनुपम

तन को पाकर तन के चिथड़े सिल गए हैं
आत्मा लेकिन उधड़ने को है शायद
वासना का दैत्य मुझको ग्रस रहा है
चन्द्रमा पर ग्रहण लगने को है शायद
-अनुपम

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