न बचा सके न आगे बड़ा सके, मजबूर खड़े हसरतों को लुट्ते देखा है,
हमने कई बार अपनो के ही हाथों, अपने काफ़िले को यूहीं लुट्ते देखा है।
उन क़ाफ़िर लुटेरो को लगता है कि उनकी बदमाशियाँ हम देख नही पाये।
पर उन्हे क्या पता, कि हर बार हमने उन्हे अपनी नज़रो से गिरते देखा है।।
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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July 22, 2023 | 211 | -1 | -0.5% |
January 31, 2023 | 212 | -2 | -1.0% |
August 09, 2022 | 214 | -1 | -0.5% |
July 03, 2022 | 215 | -8 | -3.6% |
May 27, 2022 | 223 | -5 | -2.2% |
April 19, 2022 | 228 | +1 | +0.5% |
March 11, 2022 | 227 | -2 | -0.9% |
January 13, 2022 | 229 | -1 | -0.5% |
December 06, 2021 | 230 | +6 | +2.7% |
October 28, 2021 | 224 | +155 | +224.7% |