समस्त विचारधारा से अलग 
वास्तविकता के समीप 
एक जर्जर मकान है मेरा 
जिसके छत से टपकती रहती हैं 
संवेदनाएँ
———
कविताएँ पढ़ता-लिखता हूँ।
Invited by: हिन्दी पंक्तियाँ
if the data has not been changed, no new rows will appear.
| Day | Followers | Gain | % Gain | 
|---|---|---|---|
| October 16, 2023 | 66 | +1 | +1.6% | 
| June 16, 2022 | 65 | -5 | -7.2% | 
| November 19, 2021 | 70 | +1 | +1.5% | 
| September 01, 2021 | 69 | +64 | +1,280.0% |