شبانگاهان كه در خوابي تو را يك نور بيداريست
سحر گاهان كه بيداري تو را اين عشق بيخوابيست
در اين هستي اگر هستي تو را يك فوج بيتابيست
در اين غوغا اگر مستي تو را اين معجزه كافيست
در افكارت اگر غرقي تو راجاي بدهكاريست
زمان كوتاه و بي رحم است ،تلنگر در گرفتاريست
تمام نا تمام تو در اين دفتر تماشا ييست
به خود بنگر كه در عشقت ،صداي ديگران خاليست
سفر كوتاه و ما در خواب ،نشاني از خود انگاريست
فراسوي شب تاريك ،تفكر بر خود اگاهيست
Invited by: A.Sarafi
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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December 26, 2023 | 196 | +13 | +7.2% |
October 16, 2022 | 183 | -1 | -0.6% |
July 13, 2022 | 184 | -2 | -1.1% |
June 06, 2022 | 186 | +15 | +8.8% |
April 29, 2022 | 171 | +3 | +1.8% |
March 22, 2022 | 168 | +63 | +60.0% |
January 23, 2022 | 105 | +6 | +6.1% |
December 16, 2021 | 99 | +3 | +3.2% |
November 08, 2021 | 96 | +4 | +4.4% |
October 01, 2021 | 92 | +9 | +10.9% |