अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द्द में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद है कल नहीं होंगे
किराएदार है जाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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November 12, 2023 | 10 | +1 | +11.2% |
October 18, 2022 | 9 | -1 | -10.0% |
March 23, 2022 | 10 | +1 | +11.2% |