मैं गंगूबाई
कुमारी किसी ने छोड़ा नहीं… श्रीमती किसी ने बनाया नहीं…
कहते है clubhouse में कभी अमावस की रात नहीं होती, क्योंकि वहां गंगू रहती है…
इज़्ज़त से जीने का किसी से डरने का नहीं… न पुलिस से, न MLA से, न मंत्री से ,न clubhouse gunda से … न भड़वों से किसी के बाप से नहीं डरने का
जमीन पर बैठी बहुत अच्छी लग रही है तू… आदत डाल ले… क्योंकि तेरी कुर्सी तो गई…
अरे जब शक्ति, संपत्ति और सदबुद्धि तीनों औरतें ही हैं… तो मर्दों को किस बात का गरूर…
लिख देना कल अखबार में की आजाद मैदान में गंगूबाई ने आंखें झुकाकर नहीं, आंखें मिलाकर हक की बात की है…
गंगू चांद थी और…चांद ही रहेगी…