मुक्तक ३६
त्यो चट्टान जस्तै कडा पत्थर बनेर देखाउछु
यो शिर कतै झुकाउदिन निडर बनेर देखाउछु
देश द्रोही हत्यारा भ्रष्टाचारी बलात्कारी
चेम्बर ग्यासमा हाल्छु सबलाई हिटलर बनेर देखाउछु ।
मिति: २०७८/०२/१९ बुधबार
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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January 10, 2024 | 101 | -1 | -1.0% |
July 11, 2022 | 102 | +1 | +1.0% |
June 04, 2022 | 101 | -3 | -2.9% |
March 19, 2022 | 104 | -1 | -1.0% |
January 21, 2022 | 105 | +1 | +1.0% |
December 14, 2021 | 104 | +2 | +2.0% |