Works for a publishing in Delhi, part time writer
गुज़िश्ता दौर के लम्हों से सीखे
परायों से नहीं अपनों से सीखे
कहाँ कब बोलना है और क्या क्या
बड़ों की अनकही बातों से सीखे
बिना कश्ती के दरिया पार जाना
बहुत मुश्किल है तुमको भूल जाना