बस यही आख़िरी किस्सा है सुनाने के लिए,
कुछ तेरे बाद न बाकी है बताने के लिए ।।
ख़्वाब आँखों को तरसते हैं सुबह होने तक,
याद पलकों पे टहलती है जगाने के लिए।।
- @mbr!sh
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A Marketing Professional |Fond of Poetry | By heart Lakhnavi ❣️
...ऐ शहर-ए- लखनऊ!! फिर कब मिलेगा तू ❣️❣️❣️
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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June 13, 2022 | 33 | -1 | -3.0% |
May 07, 2022 | 34 | +2 | +6.3% |
January 31, 2022 | 32 | +1 | +3.3% |