Poetry lover
अभी दो घड़ी में तो तड़पे हुए हैं
ज़रा हम सा जी के तो मर जाइएगा
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रहता हूं संग आज कल तन्हाइयों के मैं
शायद बचूंगा इस तरह रुस्वाइयों से मैं
यूँ तैरता नहीं मैं तसव्वुर में किसी के
घर दिल में करके बैठता गहराईयों में मैं
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नहीं चुनते हैं लफ़्ज़ों को के जब सच बोलते हैं हम
ज़रा नादान ज़ेहनों की यूँ गिरहें खोलते हैं हम
पसंद है गर तुम्हें कुछ तो हमें भी कुछ पसंद होगा
अगर तुम नापने लगते तो सुन लो तौलते हैं हम
Nahin chunte hain lafzon ko, Keh jab sach bolte hain ham
Zara nadaan zehnoo ki yun girheN kholte hain ham
Pasand hai gar tumhe kuch to hameiN bhi kuch pasand hoga.
Agar tum naapne lagte to sun lo taulte hain ham
https://www.clubhouse.com/club/navisht-literary-society
Invited by: Yasir Khan
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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October 18, 2023 | 602 | +332 | +123.0% |
October 01, 2022 | 270 | -5 | -1.9% |
August 10, 2022 | 275 | -1 | -0.4% |
July 04, 2022 | 276 | -4 | -1.5% |
May 28, 2022 | 280 | +16 | +6.1% |
April 20, 2022 | 264 | +11 | +4.4% |
March 13, 2022 | 253 | +3 | +1.2% |
January 15, 2022 | 250 | +1 | +0.5% |
December 08, 2021 | 249 | +3 | +1.3% |
October 30, 2021 | 246 | +65 | +36.0% |