Aman Shrivastava on Clubhouse

Updated: Dec 20, 2023
Aman Shrivastava Clubhouse
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क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुस्कुराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है।

-हरिवंश राय बच्चन


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