Poet Bhusawal maharashtra तुम शरीफों में बैठें हो एजाज़ आ न जाए शराब की खुशबू अपनी नजरों से मत गिरो एजाज़ आदमी आदमी नहीं लगता क्या है तस्वीर तू कोई एजाज़ तकता रहता है बोलता ही नहीं