तिरे जाने से कुछ बदला नही बस
हर इक लम्हा हुआ है बे अलिफ रे
Bas isi baat se roya nahi mai dam bhar ko
Kaun samjhayega ab kaun sahara dega
रात तन्हाई मुझे यूँ लिपटी
जैसे माँ खोए हुए बच्चे से
Ain sheen abbasi
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