तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
धन्य: अस्मि भारतत्वेन 🇮🇳💖
अनुगच्छतु प्रवाहं...
अस्मासु प्रत्येकः तस्य नियतेः अधिपतिः
🏡 कुछ लोगों के घर होते हैं,
तो कुछ उसी घर के लिए सफर में होते हैं
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आओ कभी यहाँ तो देखना, क्या खुशबू मिट्टी में है,
पिज़्ज़ा बर्गर सब कूल है पर असली मज़ा तो चोखा लिट्टी में है,
मित्र तो फिर भी मित्र है, हम दुश्मन को भी गले लगाते हैं,
गाईज़ बडी ये सब आपके ढकोसले हैं हम भैया/बउआ कह के बुलाते हैं,
आप पूजते सिर्फ उगते सूर्य को
हम डूबते सूरज के आगे भी सिर झुकाते है,
थोड़े पुराने ख्यालों वाले उस पवित्र संस्कार से हैं,
सीना ठोक के कहते हैं हाँ हम बिहार 💖से हैं !
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Day | Followers | Gain | % Gain |
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January 01, 2024 | 158 | -6 | -3.7% |
October 09, 2022 | 164 | -2 | -1.3% |
August 15, 2022 | 166 | -8 | -4.6% |
June 02, 2022 | 174 | -13 | -7.0% |
April 25, 2022 | 187 | +3 | +1.7% |
March 18, 2022 | 184 | -3 | -1.7% |
January 20, 2022 | 187 | +3 | +1.7% |
December 13, 2021 | 184 | +7 | +4.0% |
November 04, 2021 | 177 | +25 | +16.5% |
September 25, 2021 | 152 | +136 | +850.0% |