"tu mera raakha sabnii thaaiin"
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Chief Operating Officer || IT - HR || Shayar
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https://www.rekhta.org/poets/gurbir-chhaebrra
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नेमत हैं माँ - बाप इन्हें वीराने ना दो,
सायादार दरख़्तों को मुरझाने ना दो।
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एक मुद्दत से परिंदे की तरह यह क़ैद है,
रूह मेरे जिस्म से क़ासिद रिहा होती नहीं।
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कभी तो बाप का वो हाल पूछें,
जो उसकी बस कमाई चाहते हैं।
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हमारे बीच की दीवार साज़िश है,
मुख़ालिफ़ की ये मेरे यार साज़िश है।
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