रेशम के धागे सा नूर है मुझमें ।।
चलते ही जाना है ऐसा जुनून है मुझमें ।।
गाड़ी वाले सेठ भी और साइकिल वाले मजदूर हैं मुझमें ।।
तुम्हे सिर्फ लोग दिखेंगे पर उनके चमकते सपने हैं मुझमें ।।
बिहार में हूं मैं, और बिहार मेरे रग रग में ।।
हां भागलपुर हूं मैं, हां भागलपुर हूं मैं ।।
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