हम सभी ज़िंदगी के इस सफ़र में अपनी-अपनी रफ़्तार के साथ चल रहे हैं। कोई तेज कोई धीरे…ज़रूरत है अपने सफ़र को समय-समय पर परखने की। कहीं हमारे इस सफ़र में कोई अपना कहीं पीछे तो नहीं रह गया है? कोई अपना हमसे दूर तो नहीं हो गया है? सफ़र में चलते रहना ज़रूरी है लेकिन हम अकेले ही सफ़र करते रहेंगे तो अपनी मंज़िल पर पहुँचने के बाद भी हमारे उस मुक़ाम पर पहुँचने की हमारी ख़ुशी को महसूस करने वाला कोई अपना हमारे साथ नहीं होगा। तब वो ख़ुशी भी हमारे लिए अधूरी होगी। ये विचार हमारी उस भाग-दौड़ में हमें ध्यान में ही नहीं रहते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि अपनी ज़िंदगी के इस सफ़र में हम समय-समय पर ठहराव लायें और अपने हमसफ़र का इंतज़ार ही नहीं करें बल्कि उसे आगे लाएँ। ताकि अपनी मंज़िल को पाने की खुशी को बाँटने के लिए वो सब हमारे साथ हों जिन्होंने हमारे इस सफ़र में हमारी राह में आए काँटे हटाए हों, हमारा सफ़र आसान बनाने में छोटे से छोटा योगदान दिया हो। तभी हम अपनी ज़िंदगी का सही मतलब समझ पाएँगे। वही सफ़र सच्चा सफ़र होगा। आइए ज़िंदगी के इस फ़लसफ़े को समझें। अपनी ज़िंदगी के सफ़र में क्या छूट गया है उसे यहाँ पूरा करें। ये मंच आपके लिए ही है। आप कुछ लिखना चाहते हैं तो हमें बताइए हम आपका सहयोग करेंगे। आप गाना चाहते हैं तो यहाँ गाइए; आपके गाने को हम सुनेंगे। जो भी आप नहीं कर पाएँ हैं वो आप यहाँ सबसे साँझा कर सकते हैं। यहाँ सभी की भावनाओं की कद्र होगी।